एक कोने में बैठा हुँ ज़िन्दगी के सत्य "मौत" का नाटक देख रहा हुँ जिस आग के पास जाने से शरीर को जलन महसूस होती थीं आज वही आग शरीर को जलाने को आतुर हैं ये देख रहा हुँ जिस मौत से डर कर आदमी ज़िन्दगी की दुआएं मांगता फिरता हैं उसी ज़िन्दगी पर मौत को जीतते देख रहा हुँ एक कोने में बैठा हुँ ज़िन्दगी के सत्य "मौत" का नाटक देख रहा हुँ #poetry_of_psp