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याद है तुम्हें वो ख़त जो मैंने लिखा था तुम्हें, ता

याद है तुम्हें वो ख़त जो मैंने लिखा था तुम्हें, ताकि कभी मैं तुम्हारे पास ना रहूँ तो तुम महसूस कर सको मुझे, उस ख़त को पढ़कर शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
हाँ! मैंने फ़ैसला लिया जाने का मगर तुमने भी तो वादा किया था कि हम साथ बैठकर उलझन सुलझा लेगे शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
मैं जा रहीं थी, तुमने एक दफ़ा पूछा भी नहीं कि आख़िरी वजह क्या है जाने की? तुम रोकना चाहते मुझे तो रोक सकते थे मगर शायद ये चाहते ही नहीं। तुम चाहते तो रोक सकते थे मुझे, तुम चाहते हो तो अभी भी रोक सकते हो मुझे। 

"खुली क़िताब📖"❤️

याद है तुम्हें वो ख़त जो मैंने लिखा था तुम्हें, ताकि कभी मैं तुम्हारे पास ना रहूँ तो तुम महसूस कर सको मुझे, उस ख़त को पढ़कर शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
हाँ! मैंने फ़ैसला लिया जाने का मगर तुमने भी तो वादा किया था कि हम साथ बैठकर उलझन सुलझा लेगे शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
मैं जा रहीं थी, तुमने एक दफ़ा पूछा भी नहीं कि आख़िरी वजह क्या है जाने की? तुम रोकना चाहते मुझे तो रोक सकते थे मगर शायद ये चाहते ही नहीं।
याद है तुम्हें वो ख़त जो मैंने लिखा था तुम्हें, ताकि कभी मैं तुम्हारे पास ना रहूँ तो तुम महसूस कर सको मुझे, उस ख़त को पढ़कर शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
हाँ! मैंने फ़ैसला लिया जाने का मगर तुमने भी तो वादा किया था कि हम साथ बैठकर उलझन सुलझा लेगे शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
मैं जा रहीं थी, तुमने एक दफ़ा पूछा भी नहीं कि आख़िरी वजह क्या है जाने की? तुम रोकना चाहते मुझे तो रोक सकते थे मगर शायद ये चाहते ही नहीं। तुम चाहते तो रोक सकते थे मुझे, तुम चाहते हो तो अभी भी रोक सकते हो मुझे। 

"खुली क़िताब📖"❤️

याद है तुम्हें वो ख़त जो मैंने लिखा था तुम्हें, ताकि कभी मैं तुम्हारे पास ना रहूँ तो तुम महसूस कर सको मुझे, उस ख़त को पढ़कर शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
हाँ! मैंने फ़ैसला लिया जाने का मगर तुमने भी तो वादा किया था कि हम साथ बैठकर उलझन सुलझा लेगे शायद तुम्हें वो भी याद नहीं।
मैं जा रहीं थी, तुमने एक दफ़ा पूछा भी नहीं कि आख़िरी वजह क्या है जाने की? तुम रोकना चाहते मुझे तो रोक सकते थे मगर शायद ये चाहते ही नहीं।
ashkarshahi4835

ASHKAR Shahi

New Creator

तुम चाहते तो रोक सकते थे मुझे, तुम चाहते हो तो अभी भी रोक सकते हो मुझे। "खुली क़िताब📖"❤️ याद है तुम्हें वो ख़त जो मैंने लिखा था तुम्हें, ताकि कभी मैं तुम्हारे पास ना रहूँ तो तुम महसूस कर सको मुझे, उस ख़त को पढ़कर शायद तुम्हें वो भी याद नहीं। हाँ! मैंने फ़ैसला लिया जाने का मगर तुमने भी तो वादा किया था कि हम साथ बैठकर उलझन सुलझा लेगे शायद तुम्हें वो भी याद नहीं। मैं जा रहीं थी, तुमने एक दफ़ा पूछा भी नहीं कि आख़िरी वजह क्या है जाने की? तुम रोकना चाहते मुझे तो रोक सकते थे मगर शायद ये चाहते ही नहीं। #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #healing__heartt #yqaestheticthoughts