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जब मैं उड़ती हूं खुले आसमान में एक सुकून सा मिलता

जब मैं उड़ती हूं खुले आसमान में एक सुकून सा मिलता हैं।
 दुनिया भले ही उस आजादी पर पाबंदी लगाएं।
 पर वह आजादी मेरी ख्वाहिशो ,मेरे सपनों का नगर है ।
जहां उड़ना चाहती हूं मैं हर रोज ,
जहां जीना चाहती हूं मैं हर पल।
अगर उलझ गई में दुनिया की बातों में ,
और कर ली मैंने उनकी ख्वाहिशे पूरी ।
तो अपनी इन ख्वाहिशों को दिल में दबा के ,
गुलामी का ये प्याला में पी न पाऊंगी ।
सच कहूं तो फिर मैं जी ना पाऊंगी।

©Negi Girl Kammu मैं  जी ना पाऊगी
जब मैं उड़ती हूं खुले आसमान में एक सुकून सा मिलता हैं।
 दुनिया भले ही उस आजादी पर पाबंदी लगाएं।
 पर वह आजादी मेरी ख्वाहिशो ,मेरे सपनों का नगर है ।
जहां उड़ना चाहती हूं मैं हर रोज ,
जहां जीना चाहती हूं मैं हर पल।
अगर उलझ गई में दुनिया की बातों में ,
और कर ली मैंने उनकी ख्वाहिशे पूरी ।
तो अपनी इन ख्वाहिशों को दिल में दबा के ,
गुलामी का ये प्याला में पी न पाऊंगी ।
सच कहूं तो फिर मैं जी ना पाऊंगी।

©Negi Girl Kammu मैं  जी ना पाऊगी