जब मैं उड़ती हूं खुले आसमान में एक सुकून सा मिलता हैं। दुनिया भले ही उस आजादी पर पाबंदी लगाएं। पर वह आजादी मेरी ख्वाहिशो ,मेरे सपनों का नगर है । जहां उड़ना चाहती हूं मैं हर रोज , जहां जीना चाहती हूं मैं हर पल। अगर उलझ गई में दुनिया की बातों में , और कर ली मैंने उनकी ख्वाहिशे पूरी । तो अपनी इन ख्वाहिशों को दिल में दबा के , गुलामी का ये प्याला में पी न पाऊंगी । सच कहूं तो फिर मैं जी ना पाऊंगी। ©Negi Girl Kammu मैं जी ना पाऊगी