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दीपक वालो के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं दीपक बहु

दीपक वालो के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं
दीपक बहुत है लेकिन तेल के लिए यू कलदार नहीं
देखो उनके चेहरों पर कैसी मायूसी छायी है
क्योंकि अबकी बार रोशनी दूर देश से आयी है

जरा सोच कर देखो क्या उनका कोई परिवार नहीं
और देश की मिट्टी सातों कोई अमूल्य उपहार नहीं
फिर क्यों मेहनत उसकी देखो उसको यूं बेकार लगी
भूख मिटी ना बच्चों की ना देखो उसकी आंख लगी
दीपक वालों के घर ही दिवाली का त्योहार नहीं

खूब बहाया खून पसीना फिर भी चैन नहीं आया
सुबह से आस लगाए पर कोई दीपक लेने नहीं आया
दूर देश सामान खरीदे और देश में कहते हैं मंदी हैं
आंखों पर पट्टी है और यूं सोच भी उनकी गंदी है
दीपक वालों के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं

क्यों ना देश से अबकी अपने दिल से यूं इजहार करें
दुश्मन देश से आए सामानों को घर से बाहर करें
और मनाये दिवाली अब उनके घर रोशन करके
जिन्होंने चाहा भारत को अपने दिल और तन मन से
दीपक वालों के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं #मिट्टी के दीपक
दीपक वालो के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं
दीपक बहुत है लेकिन तेल के लिए यू कलदार नहीं
देखो उनके चेहरों पर कैसी मायूसी छायी है
क्योंकि अबकी बार रोशनी दूर देश से आयी है

जरा सोच कर देखो क्या उनका कोई परिवार नहीं
और देश की मिट्टी सातों कोई अमूल्य उपहार नहीं
फिर क्यों मेहनत उसकी देखो उसको यूं बेकार लगी
भूख मिटी ना बच्चों की ना देखो उसकी आंख लगी
दीपक वालों के घर ही दिवाली का त्योहार नहीं

खूब बहाया खून पसीना फिर भी चैन नहीं आया
सुबह से आस लगाए पर कोई दीपक लेने नहीं आया
दूर देश सामान खरीदे और देश में कहते हैं मंदी हैं
आंखों पर पट्टी है और यूं सोच भी उनकी गंदी है
दीपक वालों के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं

क्यों ना देश से अबकी अपने दिल से यूं इजहार करें
दुश्मन देश से आए सामानों को घर से बाहर करें
और मनाये दिवाली अब उनके घर रोशन करके
जिन्होंने चाहा भारत को अपने दिल और तन मन से
दीपक वालों के घर ही दिवाली का त्यौहार नहीं #मिट्टी के दीपक