रुंधा गला बहते आँसूओं से होठों पे तू चुप्पी साध चल री ऐ जिन्दगी तू गमों की पोटली बाँध गमों के हज़ार टुकड़ों की तू करले एक बोरी फिर तैयार तोलें आ बाट तराज़ू ला खुद में सहना खुद में जूझना साबित करना है खुद को सहते जा जब तलक तेरे दर्द के सागर में कोई सुनामी ना आ जाये मुसकुराते रहना"क्यूँकी " गमों को छुपाने ये बेहतरीन ठिकाना है -Bharti kashyap -Bharti kashyap #रुंधा गला