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तुम घर लौट आओ कि अब तुम बिन जिया नही जाता, राते गि

तुम घर लौट आओ कि अब तुम बिन जिया नही जाता,
राते गिन गिन कर कट जाति लेकिन जुंबा जो थक जाता
काश हमारे पैरों में कोई जंजीर नहीं होता
तो हर कसम तोड़ कर तुमसे मिल ही जाता।

©Rakesh kumar Nice shayari
तुम घर लौट आओ कि अब तुम बिन जिया नही जाता,
राते गिन गिन कर कट जाति लेकिन जुंबा जो थक जाता
काश हमारे पैरों में कोई जंजीर नहीं होता
तो हर कसम तोड़ कर तुमसे मिल ही जाता।

©Rakesh kumar Nice shayari
rakeahkumar1728

Rakesh kumar

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