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अब सुपुर्द-ए-खाक हूँ मुझ को जलाना छोड़ दे। क

अब सुपुर्द-ए-खाक हूँ 

    मुझ को जलाना छोड़ दे।

कब्र पर मेरी तू उसके साथ आना छोड़ दे।

हो सके गर तू खुशी से अश्क पीना सीख ले।

या तू आंखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे। कब्र पर आना छोड़ दे
अब सुपुर्द-ए-खाक हूँ 

    मुझ को जलाना छोड़ दे।

कब्र पर मेरी तू उसके साथ आना छोड़ दे।

हो सके गर तू खुशी से अश्क पीना सीख ले।

या तू आंखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे। कब्र पर आना छोड़ दे
rahulpandey5303

rahulpandey

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