प्रिय तुम्हें पत्र लिखती,,, प्रेम माधुरी कि है हृदय से पुकार प्राणों में भर उन्माद करुण झंकार,,, प्रिय तुम्हें पत्र लिखती बसंत के पुष्पों से सजा श्रृंगार,,, अनुराग से भरे शब्दों का सार प्रिय तुम्हें पत्र लिखती,,,