तुझमें डूब कर उबरना चाहती थी तुझ में मिल कर संभलना चाहती थी दरिया से सागर बनना चाहती थी अपना लक्ष्य पाना चाहती थी खुद को खोकर मोक्ष पाना चाहती थी जाने कब लक्ष्यविहीन हो गई जाने कब रंग हीन हो गई मिलने से पहले सूखी बेजान हो गई अमरता से पहले शमशान हो गई ।। #nojotohindi#दरिया#सागर#नेचर#प्रकृति