न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है सुकूँ ही सुकूँ है ख़ुशी ही ख़ुशी है तिरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है खटक गुदगुदी का मज़ा दे रही है जिसे इश्क़ कहते हैं शायद यही है ©Sam #khumaar ka naam agar suroor hota to