पानी हांजी मेरा नाम है पानी सुनोगे मेरी कहानी वैसे तो मेरी कविताएं है पुरानी पढ़ोगे तो बना देगी दीवानी सरिता जैसा मीठा है मेरा पानी ! युगों युगों से लोग करते आ रहे मेरी पूजा पेड़ पौधे पशु पक्षी पी जाते मुझे पूरा कास करके एक प्यासी नदी ने निचोड दिया पूरा भोले बाबा जी की कृपा थी सुबह स्नान करते पूरा मेरा बिना कमला निवास का जग अधूरा प्यासी नदी बोले सागर खुशी का जाम भर दो पूरा! हर बार की तरह साथ दूंगी पुरा! कुया गटर नाले मे भी मेरा बुरा हाल हैं कूड़ा कचरा डाले हर बार लगातार करे बेहाल हैं ! मेरी कीर्ति इतनी बड़ गई की लोगों ने दिया मेरा दाम हैं सफ़ाई में ठोका टोकी करते लोगों की जीत का अंजाम हैं! मेरी चंचल लहरों में राम की शालींता का परभाव हैं रूप, काया, साया, मोह माया सब मैं मेरी पहचान हैं! अब तो लगता है मैं भी पानी तू भी पानी खतम होगई हमारी कहानी एक था राजा एक थी रानी दोनो बर्फ बन गए खतम कहानी ! पानी हूं पानी फिर से पिगल जाऊंगा रानी क्योंकि इमोशनल हैं मेरी रवानी फिर से लहराके आयूंगा सारे विश्व को पिलूंगा अपना पानी लिखते लिखते मेरी सोच का पानी पसीना बन गया अब क्या जान लोगे जानी ...! कोई पीला दो, दो गुट प्यासी नदी का पानी...! कोई पीला दो, दो गुट प्यासी नदी का पानी...! #प्रोस #शॉर्ट स्टोरी#पानी ©D Urban Monk #Ocean #river #पानी