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कुछ इस कदर सिलसिला-ए-मोहब्बत चला है। जिसकी कश्ती

कुछ इस कदर सिलसिला-ए-मोहब्बत चला है। 
जिसकी कश्ती में हम बैठे, 
वो हमें डूबता  छोड़,
 किसी और  किनारे का हो चला है।। #you#tdp#yours#hindisayari#hindipoetry#nojoto
कुछ इस कदर सिलसिला-ए-मोहब्बत चला है। 
जिसकी कश्ती में हम बैठे, 
वो हमें डूबता  छोड़,
 किसी और  किनारे का हो चला है।। #you#tdp#yours#hindisayari#hindipoetry#nojoto