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जाने कितने ही बार दोहराया है मैने उस झील के किनारे

जाने कितने ही बार दोहराया है मैने
उस झील के किनारे तुम्हे साथ पाया है मैंने
वो चाँदनी रात और टिमटिमाते तारे,
सारे आसमा को जुगनुओं से सजाया है मैंने
उस टेबल पर जहाँ वो जलती मोमबत्ती अभी बस पिघलना शुरू हुई हैं
हाँ वहीं हर दफा तुम्हें बैठाया है मैंने
और कुछ नही दरमिया ,दो कॉफ़ी और बातों के सिवा
उस सपने में यही हर बार पाया है मैंने।
तुम्हे पता है इस मौसम से भी खूबसूरत हो तुम
तभी ना ये ख़्वाब सजाया है मैंने
जाने कितने ही बार दोहराया है मैने
उस झील के किनारे तुम्हें साथ पाया है मैंने😊 #love #Adreamnight #Thoughts
जाने कितने ही बार दोहराया है मैने
उस झील के किनारे तुम्हे साथ पाया है मैंने
वो चाँदनी रात और टिमटिमाते तारे,
सारे आसमा को जुगनुओं से सजाया है मैंने
उस टेबल पर जहाँ वो जलती मोमबत्ती अभी बस पिघलना शुरू हुई हैं
हाँ वहीं हर दफा तुम्हें बैठाया है मैंने
और कुछ नही दरमिया ,दो कॉफ़ी और बातों के सिवा
उस सपने में यही हर बार पाया है मैंने।
तुम्हे पता है इस मौसम से भी खूबसूरत हो तुम
तभी ना ये ख़्वाब सजाया है मैंने
जाने कितने ही बार दोहराया है मैने
उस झील के किनारे तुम्हें साथ पाया है मैंने😊 #love #Adreamnight #Thoughts