4 मेरे मर्ज़ की तुझे दवा बनाना, नाकामयाब ये मेरी कोशिश ही सही ... यूँ हर दम मेरे ज़ख्मों को कुरेदना, कहीं ये तेरी साज़िश तो नहीं ?? तेरी हँसी की वजह मैं बन ना सका, मुझसे तेरी ये रंजिश ही सही ... इस दास्तान के अधूरे होने की कहीं तेरे भी मन में ख़लिश तो नहीं ?? Full Poem: इश्क़ का मेरा आसमान नहीं तो, नफ़रत की तेरी ज़मीं ही सही ... जब कहती है मुझसे नफ़रत है तुझे, कहीं आँखों में तेरी नमी तो नहीं ??