ना अपनो से खुलता है, ना ही गैरो से खुलता है , ये जन्नत का दरवाजा है, मेरे माता पिता के पैरो से खुलता है ।। ✒कवित्री श्रद्धा एस मिश्रा my 1st love mumma and papa