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बैठा थे तेरी रुखसार की सुर्ख पर लिखने दो बातें, शा

बैठा थे तेरी रुखसार की सुर्ख पर लिखने दो बातें, शाम भी गुजर जाती है सिर्फ सोचने तक में, की उतरने लगा तथा दर्द घावों का छिपा न स्की जो आँखें, रुक जाती थी कलम, तेरे चेहरे पर खिलते नूर में, लिखके दो शब्द फिर लग जाता था मिटाने में, कहाँ से लाऊँ अलफ़ाज़ मैं, था दिल इस कशमकश में..

©Gitesh Grover #twentyfourthquote 
#Nojoto 
#Shayari 
#rukhsar 
#Quote 
#kashmakash 
#गीतekनज़राना
#Dil
बैठा थे तेरी रुखसार की सुर्ख पर लिखने दो बातें, शाम भी गुजर जाती है सिर्फ सोचने तक में, की उतरने लगा तथा दर्द घावों का छिपा न स्की जो आँखें, रुक जाती थी कलम, तेरे चेहरे पर खिलते नूर में, लिखके दो शब्द फिर लग जाता था मिटाने में, कहाँ से लाऊँ अलफ़ाज़ मैं, था दिल इस कशमकश में..

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