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वो तो बेरुख़ी में भी ना जीत पाये। और ये पगली, प्यार

वो तो बेरुख़ी में भी ना जीत पाये।
और ये पगली, प्यार से क़त्ल किये जा रही है।।

चुमकर मेरे लबों को, हर रोज़।
रफ़्ता-रफ़्ता ज़हर, दिये जा रही है।।

अँधेरो में रहना भी, जरूरी सा लगता है।
क्या बताऊँ ये रोशनी भी अब, जान लिये जा रही है।। #nojotogwalior
वो तो बेरुख़ी में भी ना जीत पाये।
और ये पगली, प्यार से क़त्ल किये जा रही है।।

चुमकर मेरे लबों को, हर रोज़।
रफ़्ता-रफ़्ता ज़हर, दिये जा रही है।।

अँधेरो में रहना भी, जरूरी सा लगता है।
क्या बताऊँ ये रोशनी भी अब, जान लिये जा रही है।। #nojotogwalior