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अनुरक्ति बढ़े मम हृदय प्रिये किंचित विरक्ति का भाव

अनुरक्ति बढ़े मम हृदय प्रिये
किंचित विरक्ति का भाव नहीं
रिश्ते हों ममता मोह भरे 
लेकिन आशक्ति प्रभाव नहीं
संचित विश्वास रहे मन में
पुलकित से प्राण रहे तन में
जीवन के हर एक एक क्षण में
कोई उपजे कभी अभाव नहीं।
अनुरक्ति------- 01
किंचित---------02 अनुरक्ति बढ़े मम हृदय प्रिये
किंचित विरक्ति का भाव नहीं
रिश्ते हों ममता मोह भरे 
लेकिन आशक्ति प्रभाव नहीं
संचित विश्वास रहे मन में
पुलकित से प्राण रहे तन में
जीवन के हर एक एक क्षण में
कोई उपजे कभी अभाव नहीं।
अनुरक्ति बढ़े मम हृदय प्रिये
किंचित विरक्ति का भाव नहीं
रिश्ते हों ममता मोह भरे 
लेकिन आशक्ति प्रभाव नहीं
संचित विश्वास रहे मन में
पुलकित से प्राण रहे तन में
जीवन के हर एक एक क्षण में
कोई उपजे कभी अभाव नहीं।
अनुरक्ति------- 01
किंचित---------02 अनुरक्ति बढ़े मम हृदय प्रिये
किंचित विरक्ति का भाव नहीं
रिश्ते हों ममता मोह भरे 
लेकिन आशक्ति प्रभाव नहीं
संचित विश्वास रहे मन में
पुलकित से प्राण रहे तन में
जीवन के हर एक एक क्षण में
कोई उपजे कभी अभाव नहीं।

अनुरक्ति बढ़े मम हृदय प्रिये किंचित विरक्ति का भाव नहीं रिश्ते हों ममता मोह भरे लेकिन आशक्ति प्रभाव नहीं संचित विश्वास रहे मन में पुलकित से प्राण रहे तन में जीवन के हर एक एक क्षण में कोई उपजे कभी अभाव नहीं। #yqdidi #yqhindi #सुप्रभातम #yqsahitya #पाठकपुराण