छलकती है पल पल में ये आंखे, ग़मों ने मकान बड़ा बना रखा है! कसकती है दिल में पल पल पीर, दर्द रोज दर रोज बढ़ता जा रहा है! अनजाने में सींचा ग़म के पेड़ को, अब ये पेड़ फल भी लगा रहा है! जो एक ग़म का बीज था सीने में, हजार गुना बन दर्द बरसा रहा है!! ©Swati kashyap #ग़म#दर्द#पीर#स्वरचित#nojoto#nojotopoetry#nojotohindi#nojotowriternojotonews