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जी रहे थे खुशी से, बिना किसी शिकवे और शिकायत के। न

जी रहे थे खुशी से, बिना किसी शिकवे और शिकायत के।
निभा रहे थे हम फर्ज सारे ही, अपने सभी गम छुपा करके।

भूल कर अपनी ख्वाहिशें, सबकी ख्वाहिशें पूरी कर रहे थे।
पहुंचाने लगे जब बहाने से, अपने ही आत्मसम्मान को ठेस।

लांघनी पड़ी घर की चौखट, अपना वजूद बनाने की ठान ली।
सारी दुनियां से लड़, बड़ी मुश्किल से अपनी पहचान बना ली। *कृपया रचना लिखने से पहले कैप्शन को जरूर पढ़ ले* 

*आज का विषय - घर कई चौखट* 

*इस विषय पर आपको 6 पंक्तियों में अपनी कविता लिखनी है* 

*प्रतियोगिता नबंर - 2*
जी रहे थे खुशी से, बिना किसी शिकवे और शिकायत के।
निभा रहे थे हम फर्ज सारे ही, अपने सभी गम छुपा करके।

भूल कर अपनी ख्वाहिशें, सबकी ख्वाहिशें पूरी कर रहे थे।
पहुंचाने लगे जब बहाने से, अपने ही आत्मसम्मान को ठेस।

लांघनी पड़ी घर की चौखट, अपना वजूद बनाने की ठान ली।
सारी दुनियां से लड़, बड़ी मुश्किल से अपनी पहचान बना ली। *कृपया रचना लिखने से पहले कैप्शन को जरूर पढ़ ले* 

*आज का विषय - घर कई चौखट* 

*इस विषय पर आपको 6 पंक्तियों में अपनी कविता लिखनी है* 

*प्रतियोगिता नबंर - 2*

*कृपया रचना लिखने से पहले कैप्शन को जरूर पढ़ ले* *आज का विषय - घर कई चौखट* *इस विषय पर आपको 6 पंक्तियों में अपनी कविता लिखनी है* *प्रतियोगिता नबंर - 2* #yqdidi #YourQuoteAndMine #youquoteandmine #अल्फ़ाज़_ए_दिल #घर_की_चौखट