मेरा डर कभी-कभी मुझमे इस क़दर घर कर जाता हैं उस वक़्त मुझे उजाले में भी अंधकार सा नज़र आता है ।
जो मुझे मिला भी नहीं अभी तक मेरा दिल उसे भी खोने से घबराता है , मेरा डर मेरी तक़्लीफो का अंदाजा कहा लगा पाता है ।
चीखती हूँ , चिल्लाती हूँ , रोती हूँ , लेकिन मेरे डर को मेरे अयाल पर तरस कहा आता है ।
सोचती हूँ के क्या किया जा सकता हैं , क्या ऐसे ही डर के साथ जिया जा सकता है ?
बंद कमरे में , बत्तियां बुझा कर , खुद में , सवालों में , क्या उस अन्दर के शौर से लड़ा जा सकता है ? #yqbaba#yqdidi#yqtales#yqhindi#lastpost#yqaestheticthoughts