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जैसे भी हो इस कर्बे मुसल्सल से निकालो|| में नील क

जैसे भी हो इस कर्बे मुसल्सल से निकालो||

में नील कमल हूँ मुझे दलदल से निकालो..! 

हीरा ही सही नस्ल तो पथ्थर है हमारी||

कंकड़ की तरह हमको भी चावल से निकालो..! 

तुम मेरी फ़क़ीरी को कहाँ लेके चले आये||

मे टाट का पैबंद हूँ मख़मल से निकालो..! 

ये झूठ हकूमत को निगल सकता है साहेब||

ठिठुरी हुई इस लाश को कम्बल से निकालो..!
जैसे भी हो इस कर्बे मुसल्सल से निकालो||

में नील कमल हूँ मुझे दलदल से निकालो..! 

हीरा ही सही नस्ल तो पथ्थर है हमारी||

कंकड़ की तरह हमको भी चावल से निकालो..! 

तुम मेरी फ़क़ीरी को कहाँ लेके चले आये||

मे टाट का पैबंद हूँ मख़मल से निकालो..! 

ये झूठ हकूमत को निगल सकता है साहेब||

ठिठुरी हुई इस लाश को कम्बल से निकालो..!
instasheikhakbar5672

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