कम-जर्फ ना आंकीए इसे, उम्दा है आला है जहीन हैं वो, कदम से कदम मिलाकर चलना खुद पर इतना नियंत्रण रखे वो, अपनी ख़ाकसारी से प्रतिष्ठा सदा बना कर रखे वो, जिंदगी में मुसलसल तरक्की की तरफ बढ़ती चल वो, तारीख़ तक़रीर है,शिकार-ए-जुल्मत होने के बाद भी, ज़मीं -ए-रोशन-ए-चिराग है वो। सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी से मेरा निवेदन है शीर्षक का आपकी रचना में होना अनिवार्य है , 🎀