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कागज कलम लेकर मैं रोज बैठती हूं, तुझे अजनबी और खुद

कागज कलम लेकर मैं रोज बैठती हूं,
तुझे अजनबी और खुद को तेरा हमसफ़र लिखती हूं।
तेरी आशिक़ी में इतनी घायल हूं मैं,
तुझे दिल की वीरान जमीन के लिए बारिश का पानी लिखती हूं।
वो एक खत जो तू कभी लिखेगा नहीं,
मैं रोज बैठकर उसका जवाब लिखती हूं।
कभी ना कभी तो करेंगे वो इजहार हमसे,
बस यही अल्फ़ाज़ मैं बार बार लिखती हूं।

©Ayushi Vishwakarma #Love  pradeep saroj Shakshi Dhruvpuri Goswami YOGESH PANCHOLI Devendra Shayar
कागज कलम लेकर मैं रोज बैठती हूं,
तुझे अजनबी और खुद को तेरा हमसफ़र लिखती हूं।
तेरी आशिक़ी में इतनी घायल हूं मैं,
तुझे दिल की वीरान जमीन के लिए बारिश का पानी लिखती हूं।
वो एक खत जो तू कभी लिखेगा नहीं,
मैं रोज बैठकर उसका जवाब लिखती हूं।
कभी ना कभी तो करेंगे वो इजहार हमसे,
बस यही अल्फ़ाज़ मैं बार बार लिखती हूं।

©Ayushi Vishwakarma #Love  pradeep saroj Shakshi Dhruvpuri Goswami YOGESH PANCHOLI Devendra Shayar