मुकद्दर मे लिखी होगी गज़ल मेरे खुदा ने इसलिए कुछ दर्द है कुछ चाह है है सफर लम्बा मगर किसको पता कौन सी मंजिल की सच्ची राह. है जितने भी ये जख्म हैं मेरे जिसम में उनमें दोनो दर्द है और आह है हंस के जीने की थी मेरी आरजू इसलिए अबतक मेरे लबों पर वाह है #life #yourquotedidi