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प्रेम क्या है ? एक छलावा या एक चरित्र ? comment मे

प्रेम क्या है ?
एक छलावा या एक चरित्र ?
comment में जरूर बताए 
इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा  असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से
इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी को बर्बाद करते हैं कभी नही इसलिए छलावे वाले व्यवहार से जिस पल इंसान बहार आयेगा और विचार करेगा की एक से मिले प्रेम में बर्बाद होना सही हैं या सभी से मिले प्रेम चरित्र को पाना वो सही है  ये आपको खुद समझना होगा सही क्या है
प्रेम त्याग हैं जिसमे आप को पाने की चिंता नही होनी चाहिए बस उस प्रेम में मिलजाना समर्पित होना ही एक मात्र प्रेम पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप बिना हादो में रहकर ही पा सकते है या उसमे मिल सकते है अनंत तक।

©Ankur Mishra प्रेम क्या है ?
एक छलावा या एक चरित्र ?
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इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा  असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से
इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी को बर्बाद करते हैं कभी नही इसलिए छलावे वाले व्यवहार से जिस पल इंसान बहार आयेगा और विचार करेगा की एक से मिले प्रेम में बर्बाद होना सही हैं या सभी से मिले प्रेम चरित्र को पाना वो सही है  ये आपको खुद समझना होगा सही क्या है
प्रेम त्याग हैं जिसमे आप को पाने की चिंता नही होनी चाहिए बस उस प्रेम में मिलजाना समर्पित होना ही एक मात्र प्रेम पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप बिना हादो में रहकर ही पा सकते है या उसमे मिल सकते है अनंत तक।

#प्रेम_क्या_है
प्रेम क्या है ?
एक छलावा या एक चरित्र ?
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इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा  असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से
इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी को बर्बाद करते हैं कभी नही इसलिए छलावे वाले व्यवहार से जिस पल इंसान बहार आयेगा और विचार करेगा की एक से मिले प्रेम में बर्बाद होना सही हैं या सभी से मिले प्रेम चरित्र को पाना वो सही है  ये आपको खुद समझना होगा सही क्या है
प्रेम त्याग हैं जिसमे आप को पाने की चिंता नही होनी चाहिए बस उस प्रेम में मिलजाना समर्पित होना ही एक मात्र प्रेम पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप बिना हादो में रहकर ही पा सकते है या उसमे मिल सकते है अनंत तक।

©Ankur Mishra प्रेम क्या है ?
एक छलावा या एक चरित्र ?
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इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा  असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से
इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी को बर्बाद करते हैं कभी नही इसलिए छलावे वाले व्यवहार से जिस पल इंसान बहार आयेगा और विचार करेगा की एक से मिले प्रेम में बर्बाद होना सही हैं या सभी से मिले प्रेम चरित्र को पाना वो सही है  ये आपको खुद समझना होगा सही क्या है
प्रेम त्याग हैं जिसमे आप को पाने की चिंता नही होनी चाहिए बस उस प्रेम में मिलजाना समर्पित होना ही एक मात्र प्रेम पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप बिना हादो में रहकर ही पा सकते है या उसमे मिल सकते है अनंत तक।

#प्रेम_क्या_है