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212 212 212 212 कुछ नहीं था यहाँ जब, ख़ुदा था यहाँ।

212 212 212 212
कुछ नहीं था यहाँ जब, ख़ुदा था यहाँ।।
था जहाँ भी नहीं, तब ख़ुदा था यहाँ।।

गिरने से है बचाया मुझे बार-बार।
मुझ से जब रूठे थे सब, ख़ुदा था यहाँ।।

मैं था दुन्या की रीतों से सहमा हुआ।
जब भी लरज़े मिरे लब, ख़ुदा था यहाँ।।

मत लड़ो धर्म के नाम पर तुम बशर।
भूल, क्यों जाते हो अब, ख़ुदा था यहाँ।।

है "सफ़र" ने किए ज़ुल्म दुन्या में ख़ूब।
वास्ते उस के तो कब, ख़ुदा था यहाँ।। #yqbaba #yqdidi #shayari #philosophy #सफ़र_ए_प्रेरित  #yqquotes #yqtales 

Rakesh Chawla
Hayaat Usman 
Madhu Jhunjhunwala
Sushma sagar
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कुछ नहीं था यहाँ जब, ख़ुदा था यहाँ।।
था जहाँ भी नहीं, तब ख़ुदा था यहाँ।।

गिरने से है बचाया मुझे बार-बार।
मुझ से जब रूठे थे सब, ख़ुदा था यहाँ।।

मैं था दुन्या की रीतों से सहमा हुआ।
जब भी लरज़े मिरे लब, ख़ुदा था यहाँ।।

मत लड़ो धर्म के नाम पर तुम बशर।
भूल, क्यों जाते हो अब, ख़ुदा था यहाँ।।

है "सफ़र" ने किए ज़ुल्म दुन्या में ख़ूब।
वास्ते उस के तो कब, ख़ुदा था यहाँ।। #yqbaba #yqdidi #shayari #philosophy #सफ़र_ए_प्रेरित  #yqquotes #yqtales 

Rakesh Chawla
Hayaat Usman 
Madhu Jhunjhunwala
Sushma sagar