"पैसों की कीमत" पर्स मे जब तक पैसा है, लोग पूछते है कैसा है। क्या इंसान सच मुच ऐसा है, या भ्रमित करता पैसा है। जब तक हाथ में पैसा है, इंसान भी इंसान जैसा है। मज़बूरी में मतलबी होते है लोग; या इनका स्वभाव ही ऐसा है? ग़रीब हो या अमीर यहां, बच्चे से बूढ़े की मांग पैसा है। भ्रष्टाचार का आधार पैसा है, डॉक्टर का हथियार पैसा है। खेल है निराला पैसों का, यहां जिंदा से बेजान तक पैसा है। पर्स मे जब तक पैसा है, लोग पूछते है कैसा है।। @Charpota_navin_😃 ©Navin #Money #pesa #paper