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राहों में चलते चलते चल पड़े सच्ची दोस्ती की तलाश

राहों में चलते चलते चल पड़े  सच्ची दोस्ती की तलाश में
गुजर गया जीवन,एक सच्चा दोस्त ना बना पाया ये मन
हाथ तो मैने भी बढ़ाया था, साथ चलने का हर दुःख सुख में ,
कोशिश मैने भी की थी खुद को उनका जैसा बनाने में,
शायद कुछ कमी रह गई ,फिर एक बार ये आंखें नम रह गई
ऐसा नहीं कोई दोस्त ना बने मेरे,बने तो बहुत पर कोई साथ न रहें मेरे
कुछ राह में छोड़ चले गए,और कुछ  समझ ही न पाए।
कुछ बस सच्ची दोस्ती का वादा कर दिखावा कर गए
आज जीवन के ऐसे मोड़ पर खड़ी हूं, जहां लगता हैं, शायद में ही दोस्ती का मतलब ना समझ पाई
और एक सच्ची दोस्ती की तलाश में रह गई।
इसीलिए शायद आज भी ये आंखे नम रह गई..............

©Sita Negi
  सच्ची दोस्ती
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Sita Negi

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सच्ची दोस्ती #मीम

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