मज़बूरी तेरा प्यार मैं भी जानती थी सच्चा है वो ये भी मानती थी पर मेरी भी कुछ मजबूरी थी मेरे लिए वो बस दोस्ती थी अपने दिल को कैसे समझाती तुझसे झूठा प्यार कैसे जताती तेरी हो कर भी तेरी न हो पाती बिना चाहत के कैसे निभाती तुझे दर्द हुआ इससे इनकार नही पर क्या करूँ दिल पे बस मेरा नही मैंने भी खोया तुझमे एक दोस्त कहीं काश तू समझ पाए दोष मेरा भी नही खुदा करे तुझे फिरसे मोहोब्बत हो तू जिसे दिल से चाहे वो बस तेरी हो काश राह में हमारी एक मुलाकात हो नज़रोंमें दोस्ती और हमसफ़र साथ हों ~अनजान~ प्यार का एहसास जबरदस्ती नही कराया जा सकता। कोई अगर हमसे प्यार नही करता इसमें उसका कोई दोष नही होता। सिक्के का दूसरा पहलू समझने की एक कोशिश। ~अनजान #yqdidi #hindipoetry #truelove #love #hindishayari #friendship #moveon #hindikavita #breakup