#OpenPoetry एक ज़िन्दा सवाल मैं ही था, सच है मेरी मिसाल मैं ही था। ख़ुद ही मैने बुना था चारों तरफ, घर मे मकड़ी का जाल मैं ही था। उसमें जब तक रहा हुआ महसूस,, उसका हर इक ख़याल मैं ही था। मुझसे बिछड़ा तो यूँ लगा मुझको, उसमें जो था कमाल मैं ही था। हर तरफ तीरगी थी उसमें तो, सिर्फ़ जलती मशाल मैं ही था। उसको मेरी कहाँ ज़रूरत थी, अपने मन का मलाल मैं ही था। जो नज़र मुझमें आ नहीं पाया, वो किसी का ज़लाल मैं ही था। #OpenPoetry #nojoto #pourushi jo likha hai dil se likha hai ..umeed hai psnd ayega