रंग... ज़िन्दगी के.. उसे भी रंगों से थी मुहब्बत, मैं उसको रंग दूं, ये आरज़ू थी, उसे थी चाहत हर एक रंग की, मुझे बस उसकी ही जुस्तजू थी। न जाने कितने थे रंग उसके, जिधर भी देखूं वो कू-ब-कू थी, जहां हमेशा था दरम्यां पर हर एक लम्हा वो रूबरू थी, मैं ख़्वाब उसका न था अगरचे वो ख़्वाब में मेरे हू-ब-हू थी..... फिर उसने ठुकरा दी मेरी चाहत, बिखेर दी मुझपे स्याह रंगत, जली हुई ख़्वाहिशों कि राख औ्र धुआं धुआं सा वजूद मेरा, किसी को मुझमें न "मै" मिलूंगा किसी ने मुझको है यूं बिखेरा.... हर एक सफ़ह किताबे-दिल का और बाब-ए-उल्फ़त भी ज़िंदगी का, अभी तलक है ये फीका फीका अभी भी हर रंग है उसी का। अभी भी रिश्ता है बेख़ुदी का अभी भी जैसे हूं मैं उसी का, ये बुलबुले जो भी हैं हंसी के ये ग़म के आंसू ये पल ख़ुशी के, ये झूठे सच्चे सभी क़सीदे हैं रंग जितने, हैं सब उसी के.. #yqaliem #yqbhaijaan #yqdidi #rangzindagike #arzoo-e-muhabbat सफ़ह - Page कू-ब-कू - in every direction हर तरफ़ बाब-ए-उल्फ़त - chapter of love