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है मानिंद रेगज़ारों की बड़ी प्यास तुम्हारी आँखों म

है मानिंद रेगज़ारों की बड़ी प्यास तुम्हारी आँखों में
ज़मीं को हो आसमां की वो तलाश तुम्हारी आँखों में  !

(मानिंद- तरह/ रेगज़ारों- मरूस्थल )

मुझे पता है  क्यूं दहकती  हैं ये  अक़्सर  रातों में
हां मैंने देखी है ख़्वाबों की लाश तुम्हारी आँखों में !

उफ़्फ़ कितनी बातें करती हो तुम अपनी ही तन्हाई से
जो बैठी रहती घंटों  तुम्हारे पास तुम्हारी आँखों में !

नादीद करता रहा तेरे  वादे वस्ल मैं ये  जानकर
कहीं रो न पड़ें ये गोया एहसास तुम्हारी आँखों में !

( नादीद - अनदेखा / वस्ल -मुलाकात, मिलन/ गोया - कहते हुये, बोलते हुये)

क़ज़ा से पहले आऊंगा  चंद रोज मैं रहने इनमें
मिल जाये मुझे भी मेरी ख़लाश तुम्हारी आँखों में !

( क़ज़ा - मौत / ख़लाश - मुक्ति, स्वतंत्रता )

हर शख़्स सुनाता रहता है जिसे भी देखिये यहां
सुना है कई अफ़्साने हैं  फ़ाश तुम्हारी आँखों में !

( फ़ाश - मशहूर, प्रसिद्ध )

जीने को जो लाज़िम लगता  वो सबकुछ है इनमें
इस जहान से बेहतर लेंगे सांस तुम्हारी आँखों में !

Dheeraj Garg  #zindagi_tumhari_aankhon_mein ishq tumhari ankhon mein ..
है मानिंद रेगज़ारों की बड़ी प्यास तुम्हारी आँखों में
ज़मीं को हो आसमां की वो तलाश तुम्हारी आँखों में  !

(मानिंद- तरह/ रेगज़ारों- मरूस्थल )

मुझे पता है  क्यूं दहकती  हैं ये  अक़्सर  रातों में
हां मैंने देखी है ख़्वाबों की लाश तुम्हारी आँखों में !

उफ़्फ़ कितनी बातें करती हो तुम अपनी ही तन्हाई से
जो बैठी रहती घंटों  तुम्हारे पास तुम्हारी आँखों में !

नादीद करता रहा तेरे  वादे वस्ल मैं ये  जानकर
कहीं रो न पड़ें ये गोया एहसास तुम्हारी आँखों में !

( नादीद - अनदेखा / वस्ल -मुलाकात, मिलन/ गोया - कहते हुये, बोलते हुये)

क़ज़ा से पहले आऊंगा  चंद रोज मैं रहने इनमें
मिल जाये मुझे भी मेरी ख़लाश तुम्हारी आँखों में !

( क़ज़ा - मौत / ख़लाश - मुक्ति, स्वतंत्रता )

हर शख़्स सुनाता रहता है जिसे भी देखिये यहां
सुना है कई अफ़्साने हैं  फ़ाश तुम्हारी आँखों में !

( फ़ाश - मशहूर, प्रसिद्ध )

जीने को जो लाज़िम लगता  वो सबकुछ है इनमें
इस जहान से बेहतर लेंगे सांस तुम्हारी आँखों में !

Dheeraj Garg  #zindagi_tumhari_aankhon_mein ishq tumhari ankhon mein ..
dheerajgarg3449

Dheeraj Garg

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