दो कौड़ी कि है हैसियत उसकी जो अच्छे अच्छों को उनकी औकात बता देती है कुछ तो कारीगरी रही होगी उसमें जो मुझको मेरे घर में खैरात बता देती है उसे याद बहुत रहता है घर के हर एक शय पे कितने एहसान किये हैं उसने उसके यादों की बेशर्मी कहिये जिस दम पे उम्र गुजारी उन रिश्तों को वाहियात बता देती है वो ग़ैर थी ग़ैर ही रह गई क्या मलाल करूँ उससे अपने रिश्तों का चोट उनसे बेपनाह मिली जो खून के रिश्ते को अभिशाप बना देती है क्या कमाल की खुदाई है ख़ुदा देख के हैरान हो जाए वो घर के ख़ुदा को उसके बच्चों की ज़ात बता देती है #अभिशाप