रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है। चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है। उसकी याद आयी है सांसों ज़रा धीरे चलो धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता है। #Mohabbat #shayari #love #quotes #poem