प्रेयसी बन मन को हरती है,परिणीता बन घर को सजाती। नन्ही सी गुड़िया बन ,ओ तो आँगन की तुलसी बन जाती।। बहन बनी जब रक्षा हेतु,भाई के कर पर सज जाती। ममतामयी बनी जब माँ ओ,सारे जगत को ममत्व लुटाती।। अबला जब कभी जुल्म को सहती, वही तभी काली बन जाती। विविध रूप में नारायणी नारी,सृष्टि हेतु सर्वस्य बटाती।।शेखर महिला दिवस की बन्दना। 💐💐💐 महिला दिवस।