कशतिया बच जाती है तुफान मे हशतिया मिट जातिहै अभिमान मे बाहर रिश्तो का मेला और अंदर से हर शख़्स अकेला यह इसान का नही यह वक्त और जिन्दगी का खेल है कशतिया बच जाती है तुफान मे हशतिया मिट जातिहै अभिमान मे बाहर रिश्तो का मेला और अंदर से हर शख़्स अकेला यह इसान का नही यह वक्त और जिन्दगी का खेल है shashi kumar khunte