यूँ चलते चलते जब नज़र ऊपर उठी एक अलग ही दुनिया मुझको दिखी विपरीत और विभिन्न, स्वच्छ और निर्मल नीला अंबर था, या नदी का शीतल जल? छोटे बड़े बादल यहाँ वहाँ फैले हुए नीले फर्श पर जैसे रुई के गोले रेंगते हुए निराकार, निर्बद्ध, श्वेत और शुद्ध दृश्य ऐसा के खो जाए सुध बुध ऐसे में क्षितिज पर देखा काला धुआँ अचानक वास्तविकता का आभास हुआ वाह रे इंसान तू कितना ऊँचा उठा धरती तो मैली हो गई आसमान भी काला हुआ #lines #realphotography #badal #clouds #rain #lines #sentences #story #easyway #poetry #hindilines