समाजवादी चरित्र के बाप घोर संकट में हैं.बात उनकी,जो कठोर बने रहे, मुलायम नहीं बन सके. रोटी खिलाकर परिवार वाले एहसान कर रहे हैं. विकास के राह पर चलने की क्षमता नहीं रहीं..जायें तो जायें कहाँ ? पत्रकार मित्र अखिलेश मिश्र ने एक पोस्ट पर टिप्पणी की हैं कि अब संतान पूछ रहे हैं कि आपने जीवन में किया क्या है .फलाँ को देखिये,,, कहाँ था,आज कहाँ है. ...लेकिन एक बात कहें अखिलेश जी.अनपढ़ समाजवादी भी यदि कट्टर और ईमानदार है तो मर जायेगा लेकिन समझौता नहीं करेगा. दो रोटी खाकर पानी पियेगा,. बिंदास जियेगा और बिंदास मर जायेगा.ईमानदारी से जीना,लूटना-खसोटना नहीं, अन्याय के खिलाफ खड़े रहना, यथासंभव दूसरों का सहयोग करना...यही तो पूजी है उसकी.