प्रिय हिमांशु ,
मैं बांध सकूं तुम्हें अपने शब्दों में मुझे नहीं लगता इतना मुझ में सामर्थ्य है, तुम और तुम्हारी रचनाएं परे हैं मेरी कल्पनाओं के सागर से, और वास्तविकता के आसमां से, वास्तव में ही
तुम "अनुहिम " हो,..
बड़ी ही जिज्ञासा ही 'अनुहिम ' का अर्थ जानने की जो आपकी pinned post पढ़कर तृप्त हुई उस दिन, .. तो आपके ही शब्दों में आपको लिखना चाहूंगी,.