चूड़ियां तो बचपन में भी पहना करते थे लाल, हरी, नीली, पीली और न जाने किन किन रंगों की तब तो ये किसी के नाम की न थी न जाने कब ये सुहाग की निशानी बन गई और न जाने किस किस की आंखों में खटक गई किसीको जब चाहा पहना दी गई किसीकी जब चाहा तोड़ दी गई.. ©Swati kashyap #चूड़ियां