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एक फूल हूँ मैं आपके बगीचे की, मुझको सहलाना है आपका

एक फूल हूँ मैं आपके बगीचे की,
मुझको सहलाना है आपका काम।
अगर मुरझा भी जाऊँ कभी तो,
मुझे फिर से खिलाना है आपका काम।
भर देना ऐसी महक मुझमें ओ कान्हा,
की जहां भी मैं जाऊं तो मुझमे से...
सभी को सिर्फ आपकी महक आये।
और जो भी मुझे देखे ओ कान्हा,
वो सिर्फ यही बोले कि,
देखो वो है फूल "कृष्ण"की बगिया के।

©®राधाकृष्णप्रिय Deepika #राधे  #कृष्ण 
#फूल #बगिया
#प्रेम #भाव 
#आस्था #विश्वास 
Kaju Gautam  Anshula Thakur 
Sudha Tripathi Chandramukhi Mourya Bhagat Anshu writer
एक फूल हूँ मैं आपके बगीचे की,
मुझको सहलाना है आपका काम।
अगर मुरझा भी जाऊँ कभी तो,
मुझे फिर से खिलाना है आपका काम।
भर देना ऐसी महक मुझमें ओ कान्हा,
की जहां भी मैं जाऊं तो मुझमे से...
सभी को सिर्फ आपकी महक आये।
और जो भी मुझे देखे ओ कान्हा,
वो सिर्फ यही बोले कि,
देखो वो है फूल "कृष्ण"की बगिया के।

©®राधाकृष्णप्रिय Deepika #राधे  #कृष्ण 
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#आस्था #विश्वास 
Kaju Gautam  Anshula Thakur 
Sudha Tripathi Chandramukhi Mourya Bhagat Anshu writer