बड़े चाव से एक मियाँ ने , घर में बकरा पाला था । बेटी पानी देती उसको , देता मियाँ निवाला था ॥ स्वार्थ भरा था प्यार मियाँ का,पर बेटी का निश्छलथा। सिर्फ ईद का इंतजार ही , बड़े मियाँ को पल-पल थाl ऐसी आयी ईद कि आँगन,आज लहू से सन बैठा। रोज़ निवाला देने वाला,मियाँ भी दानव बन बैठा। इक झटके में बकरे का सिर,धड़ से अलग किया देखो। भोली बेटी समझ न पायी,ये क्या किया मियाँ देखो| रोज़ की भाँति आयी है,बकरे को देने पानी जी। कलम भी रोई मेरी लिखकर,ऐसी मर्म कहानी जी। आज जरा सा भी देखो,पानी का बर्तन नही रीता। सोंच रही बालक बुद्धि,क्यों बकरा पानी नही पीता| ईद के दिन भी सुस्त पड़ा है,क्यों मन में उल्लास नहीं l कटे शीश से पूछ रही है,क्या मुन्ना तुझको प्यास नहीं l #nojoto #nojotofamily #writers #love