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White वो जिसके लबों पर थे वादे हज़ार, जिसकी बातों

White 
वो जिसके लबों पर थे वादे हज़ार,
जिसकी बातों में छुपे थे खंजर भी यार।
जिसने कहा था कि साथ न छूटेगा,
आज वो राहों में तनहा कर गई।

इक बेवफा कैसे वफा कर गई?

जिसने मोहब्बत को खेल बना डाला,
जिसने हर रिश्ते को धूल बना डाला।
जिसकी नजरें थी चाँदनी रातों सी,
पर दिल में थी जख़्मों की आंधियाँ भी।

वो जो छोड़कर गैरों संग हँस पड़ी,
फिर भी यादों में समा कर गई।
इक बेवफा कैसे वफा कर गई?

शायद ये दिल की नादानी रही,
या मेरी चाहत में सच्चाई रही।
वो जाने अनजाने कुछ ऐसा कर गई,
बेवफा होकर भी दिल में बसी रह गई।

अब चाहूँ मिटाना, तो मिटती नहीं,
हर साँस में जैसे बसा कर गई।
इक बेवफा कैसे वफा कर गई?

©aditi the writer #Thinking  Da "Divya Tyagi"  Niaz (Harf)  आगाज़  m raj. g  ANOOP PANDEY
White 
वो जिसके लबों पर थे वादे हज़ार,
जिसकी बातों में छुपे थे खंजर भी यार।
जिसने कहा था कि साथ न छूटेगा,
आज वो राहों में तनहा कर गई।

इक बेवफा कैसे वफा कर गई?

जिसने मोहब्बत को खेल बना डाला,
जिसने हर रिश्ते को धूल बना डाला।
जिसकी नजरें थी चाँदनी रातों सी,
पर दिल में थी जख़्मों की आंधियाँ भी।

वो जो छोड़कर गैरों संग हँस पड़ी,
फिर भी यादों में समा कर गई।
इक बेवफा कैसे वफा कर गई?

शायद ये दिल की नादानी रही,
या मेरी चाहत में सच्चाई रही।
वो जाने अनजाने कुछ ऐसा कर गई,
बेवफा होकर भी दिल में बसी रह गई।

अब चाहूँ मिटाना, तो मिटती नहीं,
हर साँस में जैसे बसा कर गई।
इक बेवफा कैसे वफा कर गई?

©aditi the writer #Thinking  Da "Divya Tyagi"  Niaz (Harf)  आगाज़  m raj. g  ANOOP PANDEY