उम्मीद तू जैसा है तू वैसा ही रहे तुझसे बड़ी उम्मीद थी तू चला गया क्योंकि तुझे मुझसे बेहतर की जिद थी मै मोहब्बत में कैद था तू दौलत की मुर्शीद(अध्यापक) थी गिरनी ही थी मंजिल मेरी जो बुनियाद ही शागिर्द थी मै बच्चा ही रहा , बुढ़ापे तक इश्क़ में तू बेवफाई में, बचपन से ही राशिद (जवान)थी मौत वो ही बनी मेरी जो जीते जी मेरी जींद(जिन्दगी) थी उम्मीद