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थी राह भी वही, था सफर भी वही, मैने जाना जहां पर म

थी राह भी वही, था सफर भी वही, 
मैने जाना जहां पर मै पहुचा नही।

मेरे दिल में क्या था बता ना सका, 
उसने जाना मगर वो चुप ही रही।

वो भी मजबूर था, मैं भी मजबूर था, 
क्या थी मजबूरियां खबर ही नहीं। 

वो जाता रहा वो चला ही गया, 
ऐसी मुझ से भला क्या खता हो गई।

उससे बेहतर कोई और मुझको मिले, 
जाते जाते दुआ ये उसने कही।

एक आदत बुरी ये मुझे है लगी, 
उससे बेहतर मुझे कोई लगता नही। 

मुमकिन नहीं अब मुलाकात हो, 
आते आते मुझे बड़ी देर हो रही।

क्या सुनाए तरूण हाल-ए-दिल का बयां, 
गजल ये भी तो बस अधूरी रही। #गज़ल #तरन्नुम #ghazal #gazal #hindiwriters #hindiurdu #tarunvijभारतीय
थी राह भी वही, था सफर भी वही, 
मैने जाना जहां पर मै पहुचा नही।

मेरे दिल में क्या था बता ना सका, 
उसने जाना मगर वो चुप ही रही।

वो भी मजबूर था, मैं भी मजबूर था, 
क्या थी मजबूरियां खबर ही नहीं। 

वो जाता रहा वो चला ही गया, 
ऐसी मुझ से भला क्या खता हो गई।

उससे बेहतर कोई और मुझको मिले, 
जाते जाते दुआ ये उसने कही।

एक आदत बुरी ये मुझे है लगी, 
उससे बेहतर मुझे कोई लगता नही। 

मुमकिन नहीं अब मुलाकात हो, 
आते आते मुझे बड़ी देर हो रही।

क्या सुनाए तरूण हाल-ए-दिल का बयां, 
गजल ये भी तो बस अधूरी रही। #गज़ल #तरन्नुम #ghazal #gazal #hindiwriters #hindiurdu #tarunvijभारतीय