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बन कर खिलौना उसको खिलाता रहा मै। जब जब गिरा उसको उ

बन कर खिलौना उसको खिलाता रहा मै।
जब जब गिरा उसको उठाता रहा मै।
मेरे सर पर छत तक नही रही उसके बास्ते।
यार सब कुछ बेच कर उसको पड़ाता रहा मै।
अब अपने पैरो पर चल रहा हैं तो
समझता नही मुझको।
कौन बताए उसके लिऐ कितनी चोट खाता रहा मै

©Jainendra Thakur
  कीमत

कीमत #कविता

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