रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए सुन ए शहंशाह इतिहास लिखना है तुम्हें इतिहास से बेहतर तो बनना होगा तुम्हे महापुरुषो से बेहतर जिनकी भी लिखी गयी हैं इतिहास बेहतर उन्होंने कुछ भी नही पाया जीवन मे बेहतर तुम बनो पहले एक इंशा बेहतर खुद ही लिख जायेगा तुम्हारा इतिहास बेहतर महापुरुष जो थे