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कहीं रेत जैसे लगते है कुछ शब्द, जब लिखने को आते है

कहीं रेत जैसे लगते है कुछ शब्द,
जब लिखने को आते है फिसल जाते है कागज पर,
अब जिंदगी का सफर कुछ बेहतरीन है ,
शिकायतों को ना कोई शिकायत है,
बह रहा है पानी गहरा,
कहीं ओश कह राज़ सुन्हेरा,
दूर से लगते है कुछ ख्वाब,
पाने को नहीं अब दिल लगता,
कभी कभी कुछ अजीब जस्बात दौड़ते है,
थमते नहीं और फिर कहीं गुम हो जाते है,
अब शहर की रौनक से मोह नहीं लगता,
कहीं सफर पतझड़ में खोया लगता,
बारिश को कहीं सुकून दिखता,
हवाओं में यादों का कोई पत्र लिखता,
क़लम को फिर थाम हाथो में,
कोई राही फिर अपनी जिंदगी का फ़लसफ़ा लिखता, #लिख आए
कहीं रेत जैसे लगते है कुछ शब्द,
जब लिखने को आते है फिसल जाते है कागज पर,
अब जिंदगी का सफर कुछ बेहतरीन है ,
शिकायतों को ना कोई शिकायत है,
बह रहा है पानी गहरा,
कहीं ओश कह राज़ सुन्हेरा,
दूर से लगते है कुछ ख्वाब,
पाने को नहीं अब दिल लगता,
कभी कभी कुछ अजीब जस्बात दौड़ते है,
थमते नहीं और फिर कहीं गुम हो जाते है,
अब शहर की रौनक से मोह नहीं लगता,
कहीं सफर पतझड़ में खोया लगता,
बारिश को कहीं सुकून दिखता,
हवाओं में यादों का कोई पत्र लिखता,
क़लम को फिर थाम हाथो में,
कोई राही फिर अपनी जिंदगी का फ़लसफ़ा लिखता, #लिख आए