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ये दीवारें साँस लेती थीं कभी ये दीवारें नज़दीकियाँ

ये दीवारें साँस लेती थीं कभी
ये दीवारें नज़दीकियाँ बढ़ाती थी कभी
ये दीवारें थी जिसका कोई दायरा न था 
ये दीवारें बोलती थी, सुनती थी,
सुख दुख की सब बातें कर लेती थी, 
ये दीवारें तो थीं पर दूरियों का एहसास न था
तुम कहाँ चली गई हो अम्मा... 
अम्मा तुम थीं तो ये दीवारें भी पुल की तरह थी
पाट देती थी सब दूरियाँ
तब दिखती नहीं थी ये दीवारें 
जोड़ देती थी सब सिराओं को
तुम कहाँ चली गई हो अम्मा.... 
तुम नहीं हो तो बहुत बदरंग,
बेजान हो गयी है ये दीवारें
ये दीवारें, 
जो कभी इस ज़मीं पे पड़ी थी 
तो घर बन गया था
अब घरों से उठ कर
दिलों में खिंच गई हैं ये दीवारें... #अभिशप्त_वरदान #दीवारें
ये दीवारें साँस लेती थीं कभी
ये दीवारें नज़दीकियाँ बढ़ाती थी कभी
ये दीवारें थी जिसका कोई दायरा न था 
ये दीवारें बोलती थी, सुनती थी,
सुख दुख की सब बातें कर लेती थी, 
ये दीवारें तो थीं पर दूरियों का एहसास न था
तुम कहाँ चली गई हो अम्मा... 
अम्मा तुम थीं तो ये दीवारें भी पुल की तरह थी
पाट देती थी सब दूरियाँ
तब दिखती नहीं थी ये दीवारें 
जोड़ देती थी सब सिराओं को
तुम कहाँ चली गई हो अम्मा.... 
तुम नहीं हो तो बहुत बदरंग,
बेजान हो गयी है ये दीवारें
ये दीवारें, 
जो कभी इस ज़मीं पे पड़ी थी 
तो घर बन गया था
अब घरों से उठ कर
दिलों में खिंच गई हैं ये दीवारें... #अभिशप्त_वरदान #दीवारें